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शेरसिंह दुर्जनसिंह का सेवक था। दुर्जनसिंह की बुरी नजर शेरसिंह की पत्नी पर थी इसलिये उसने शेरसिंह को शहर भेज दिया और उसकी पत्नी लक्ष्मी से बलात्कार करने की चेष्टा की। मगर वह बचकर भाग निकली और नदी में कूद गई।
शेरसिंह ने दुर्जन का खून कर दिया और कानून से बचने के लिए डाकू पर्वत के गिरोह में शामिल हो गया। उसका नाम चट्टान सिंह रख दिया। पर्वत ने मरते समय अपनी बेटी बदली को चट्टान के सुपुर्द कर दिया। उसने अपनी बेटी की तरह पाला पोसा।
लक्ष्मी को ठाकूर चंदनसिंह ने बचा लिया और उसने एक पुत्र को जन्म दिया उसका नाम विशाल रखा। चंदनसिंह के यहाँ रेखा नाम की बेटी हुई। ये तय हुआ कि विशात के बी.ए. करने पर दोनों का विवाह कर दिया जाय।
दुर्जन के पुत्र रणजीत ने चट्टान को बताया कि उसकी पत्नी जिंदा है और वह दुर्जन के बेटेकी माँ भी बन चुकी है। चट्टान ने निश्चय किया कि वह विशाल की हत्या करेगा मगर पुलिस के सामयीक हस्तक्षेप से ये अनर्थ होते होते बच गया।
जब चट्टान को यह मालूम हुआ कि विशाल उसका ही पुत्र है तो उसने प्रायश्चित करने के लिये लक्ष्मी से क्षमा याचना की। पुत्र को आशिर्वाद दिया। डाके के धन को एक मंदिर को दान कर अपने आप को पुलिस के हवाले कर देने का निश्चय किया।
मगर इस बीच रणजीत ने रेखा का अपहरण कर लिया। पिता पुत्र ने रेखा की कैसी रक्षा की? चट्टान का क्या हुआ आदि उलझे हुए प्रश्नोंके उत्तर के लिए आपको ’चट्टान सिंह’ आदि से अंत तक देखना पड़ेगा।
[from the official press booklet]